महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फड़नवीस की जोड़ी सरकार ने एक बड़ा फ़ैसला बदलते हुए तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार को बड़ा झटका दिया है. शिंदे सरकार ने राज्य में किसी मामले की CBI जांच के लिए जनरल कंसेंट की बहाल किया है. इसका मतलब है कि अब सीबीआई को जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं होगी.
जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब महाविकास अघाड़ी सरकार ने राज्य में जांच के लिए सीबीआई की अनुमति वापस ले ली थी. यानी अगर उद्धव ठाकरे सरकार के कार्यकाल के दौरान अगर CBI को किसी मामले की जांच करनी होती तो उन्हें ठाकरे सरकार से इजाज़त लेनी होती थी. सीबीआई सरकार की अनुमति के बिना जांच नहीं कर सकती थी. शिंदे-फडणवीस सरकार के इस फैसले से अब सीबीआई किसी भी मामले की जांच कर सकती है.
सीबीआई नहीं मांगेगी राज्य सरकार की अनुमति
इसे उद्धव ठाकरे और महाविकास अघाड़ी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. 21 अक्टूबर, 2020 को उद्धव ठाकरे ने सीबीआई को जांच की अनुमति देने से इनकार करने के गृह विभाग के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे, उस समय अनिल देशमुख राज्य के गृह मंत्री थे. सीबीआई राज्य में कई मामलों की जांच कर रही थी. इसलिए, महाविकास अघाड़ी सरकार ने यह फैसला लिया. महा विकास अघाड़ी ने लगातार केंद्र पर सरकार के खिलाफ जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था.
जनरल कंसेंट आखिर है क्या
सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 से शासित होती है. कई राज्यों ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 की धारा 6 के अंतर्गत CBI को पूर्व में दी गई जनरल कंसेंट सामान्य सहमति को वापस ले लिया. आम सहमति कुल दो प्रकार की होती है. पहली स्पेसिफिक, दूसरी जनरल. राज्य सरकारों ने राज्य में कार्रवाई के लिए सीबीआई को जनरल कंसेंट दे रखी है. इसके जरिए सीबीआई किसी भी मामले में जांच के लिए बगैर किसी अनुमति के संबंधित मामलों में छापेमारी, गिरफ्तारी कर सकती है. जिन राज्यों ने जनरल कंसेंट वापस ले लिया है वहां CBI को राज्य में कार्रवाई के लिए सरकार से इजाजत लेनी होती है.