बंबई उच्च न्यायालय ने 39 वर्षीय महिला की उस याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया जिसमें उसने शिवसेना सांसद संजय राउत और अपने पति की ओर से कुछ लोगों द्वारा उसका पीछा किए जाने और उसे प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। मुंबई निवासी याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह पुलिस को 2013 और 2018 में अज्ञात लोगों के खिलाफ उसके द्वारा दर्ज करायी तीन शिकायतों की जांच करने का निर्देश दें तथा शहर के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के खिलाफ कार्रवाई करें। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जामदार की खंडपीठ ने 22 जुलाई को उसकी याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने बुधवार को याचिकाकर्ता को दो मामलों में पुलिस द्वारा दायर ‘ए-समरी’ रिपोर्ट और तीसरी शिकायत में एक आरोपपत्र से जुड़ी उसकी शिकायत को कानून की प्रक्रिया का पालन करने और उचित अधीनस्थ अदालत के समक्ष उठाने का निर्देश दिया। ‘ए-समरी’ रिपोर्ट वह होती है जिसमें पुलिस किसी मामले में जांच को बंद कर देती है जहां उसे लगता है कि अपराध हुआ है लेकिन आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं है। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया था कि उसका पीछा करने वाले और उसे प्रताड़ित करने वाले लोगों ने राउत की मिलीभगत से ऐसा किया था।
महिला ने अपनी वकील आभा सिंह के जरिए अदालत को बताया था कि अष्टम जोन के डीसीपी ने ऐसी शिकायत को दर्ज करते समय राष्ट्रीय महिला आयोग के निर्देशों का पालन नहीं किया था। महिला ने इस जोन में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। उच्च न्यायालय ने 22 जून को मुंबई पुलिस आयुक्त को महिला द्वारा की गई शिकायत की जांच करने और मामले पर एक रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे।