उनका यह भाषण ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिका के साथ तनाव चरम पर होने के बीच स्थानीय राजनेताओं और राजनयिकों की तरफ से बलपूर्वक ताइवान को मिलाने जैसे संदर्भ दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही, हांगकांग के विशेष प्रशासित क्षेत्रों में नए और विवादास्पद कानून को लागू किया जा सकता है ताकि हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा सके।
चीन का तनाव भारत के साथ भी लगातार बढ़ता जा रहा है। 5 मई को लद्दाख में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प के बाद दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगते संवेदनशील क्षेत्रों में अपने सैनिकों को बढ़ा दिया है। जानकारों का मानना है कि यह तनाव लंबा खिंच सकता है। हालांकि, भारत के साथ चीन की 3488 किलोमीटर की लंबी विवादित सीमा है और अलग-अलग हिस्सों में दोनों देशों की सेनाओं के बीच विवाद होता रहता है।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आगे कहा कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में चीन का प्रदर्शन मिलिट्री रिफॉर्म की सफलता को दर्शाता है और आर्म्ड फोर्सज को महामारी के बावजूद ट्रेनिंग के नए विकल्प का पता लगाना चाहिए। चीन की शक्तिशाली केन्द्रीय सैन्य आयोग (सेंट्रल मिलिट्री कमिशन) की अध्यक्षता करने वाले शी जिनपिंग ने यह टिप्पणी नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के वार्षिक सत्र से इतर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और पीपुल्स आर्म्ड पुलिस फोर्स (पीएपीएफ) की प्रतिनिधिमंडल की बैठक के दौरान दिया।
भारतीय सेना के शीर्ष सैन्य कमांडर बुधवार से शुरू हो रहे तीन दिवसीय सम्मलेन के दौरान पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों में भारत और चीनी सैनिकों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध की गहन समीक्षा करेंगे। समाचार एजेंसी भाषा ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि कमांडर जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर भी चर्चा करेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भी इस दौरान चर्चा की जाएगी।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन के दौरान मुख्य रूप से ध्यान पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर ही होगा जहां पैंगोंग त्सो, गल्वान घाटी, देमचोक और दौलत बेग ओल्डी में भारतीय और चीनी सैनिक आमने-सामने अड़े हैं। इस इलाके के सभी संवेदनशील क्षेत्रों में भारत और चीन दोनों ने अपनी मौजूदगी महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा दी है, जिससे संकेत मिलते हैं कि इस टकराव का जल्द कोई समाधान शायद न मिले। दोनों तरफ से इसे बातचीत के जरिए सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है।