- क्या पेट के कीड़े मारने वाली दवा से कोरोना वायरस का इलाज किया जा सकता है?
- क्या ऐसी कोई दवा जानलेवा वायरस के खिलाफ सबसे असरदायक हथियार साबित हो सकती है?
और कोरोना वायरस को लेकर दुनिया भर में रिसर्च जारी है, कई देशों के डॉक्टर और वैज्ञानिक इस जानलेवा बीमारी की दवा या वैक्सीन बनाने के काम में जी-जीन से जुटे हैं. इस बीच डॉक्टरो ने कोरोना वायरस के खिलाफ सबसे असरदायक दवा को खोजने का दावा किया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि आईवरमैक्टीन (Ivermectin) नाम की इस दवा का इस्तेमाल पेट के कीड़े मारने के लिए किया जाता रहा है लेकिन कोरोना के इलाज में इस दवा के नतीजे दुनिया भर के लिए राहत की खबर लेकर आए हैं।
जी हां आस्ट्रेलिया के मोनाश यूनिवर्सिटी और विक्टोरियन इनफेक्शियस डिजीज रेफरेंस लैब (VIDRL) में एक लैब स्टडी की गई, जिसमें ये जानकारी सामने निकल कर आई कि इस दवा से 48 घंटे के भीतर वायरस को खात्म कर देने की क्षमता है.
इस लैब स्टडी में ये बात भी निकलकर सामने आई कि इस दवा यानी आईवरमैक्टीन से कोरोनावायरस का RNA 93 पर्सेंट कमजोर पड़ जाता है. हालांकि इस बात की आधिकारिक पुष्टि इसलिए नहीं हो पाई है क्योंकि इस स्टडी में इंसानों पर आजमा कर दवा के इस असर की पुष्टि करने के लिए नहीं देखा गया है. लेकिन बांग्लादेश के एक प्राइवेट अस्पताल से जो जानकारी सामने आई वो किसी बड़ी खुशखबरी से कम नहीं है.
इस निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने आईवरमैक्टीन की दवा के साथ एक एंटीबायोटिक दवा डॉक्सी-साइक्लिन देकर कोरोना वायरस से संक्रमित करीब 60 मरीजों को ठीक कर दिया. डॉक्टरों के दावे के अनुसार हुआ यूं कि मरीजों को इस दवा को दिया गया, जिसके करीब 72 घंटे बाद सभी मरीजों का कोरोना टेस्ट कराया गया तो नतीजें नेगेटिव आ गए. कोरोना संक्रमित मरीज़ों पर इस दवा के नतीजे बड़ी राहत लेकर आए हैं.
कोरोना काल में आईवरमैक्टीन दवा ने उम्मीद की एक किरण जरूर दिखायी है. जिसके बाद हिन्दुस्तान के केरल, यूपी के कानपुर और दिल्ली के भी कई अस्पतालों में अब इस दवा आईवरमैक्टीन का इस्तेमाल ,कोरोना मरीजों को देकर किया जा रहा है. खुशखबरी ये है कि इसके बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं. यानी ये अगर पूरी तरह कारगर साबित हो गई ,तो किसी चमत्कार से कम नहीं होगा.
दरअसल, ये दवा आईवरमैक्टिन (Ivermectin) इम्युनिटी बढ़ाने वाली माइक्रो बायल दवा के रूप में जानी जाती है. हालांकि इसके चमत्कारी दवा साबित होने के लिए निश्चित तौर पर एक बड़े ट्रायल की जरुरत होगी. खास बात तो ये है कि इस दवा से किसी खास तरह का साइड इफेक्ट भी नहीं है और ये बेहद सस्ती है. जो कोरोना काल में हर किसी के लिए उम्मीद की नई किरण है. अगर ये दावा कारगर साबित हुई तो भारत दुनिया के देशों से सबसे पहले दावा बनाने वाला देश बन जाएगा।